Friday, 1 August 2025

पैसा...

 वाह रे पैसा! 

            तेरे कितने नाम?


मंदिर मे दिया जाये तो

( चढ़ावा ) 

                    स्कुल में

                    ( फ़ीस )

शादी में दो तो

( दहेज )

               तलाक देने पर

              ( गुजारा भत्ता ) 


आप किसी को देते

हो तो ( कर्ज ) 

                   अदालत में

                   ( जुर्माना )


सरकार लेती है तो

( कर ) 

                सेवानिवृत्त होने पे

                ( पेंशन )


अपहर्ताओ के लिए

( फिरौती )

                 होटल में सेवा के लिए

                 ( टिप )


बैंक से उधार लो तो

( ऋण )

                     श्रमिकों के लिए

                      ( वेतन ) 


मातहत कर्मियों के लिए

( मजदूरी )

            अवैध रूप से प्राप्त सेवा

             ( रिश्वत )


और मुझे दोगे तो

(गिफ्ट)


            मैं पैसा हूँ:!

मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते;

मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ।


             मैं पैसा हूँ:!

मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें।


             मैं पैसा हूँ:!

मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते।


        मैं पैसा हूँ:!

मैं नमक की तरह हूँ। जो जरुरी तो है, मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है।


         मैं पैसा हूँ:!

इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था;

मगर फिर भी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था।


         मैं पैसा हूँ:!

मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर मैं निर्धारित करता हूँ कि लोग

आपको कितनी इज्जत देते है।


         मैं पैसा हूँ:!

मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ!

आपके पास नहीं हूँ तो,

आपका नहीं हूँ! मगर मैं 

आपके पास हूँ तो 

सब आपके हैं।


            मैं पैसा हूँ:!

मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ;

मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ।


            मैं पैसा हूँ:!


मैं सारे फसाद की जड़ हूँ;

मगर फिर भी न जाने क्यों

सब मेरे पीछे इतना पागल हैं?

 

                🧊🧊🧊🧊🧊

एक सच्चाई ये भी है कि.........


बदलता हुआ दौर है साहब ...


पहले "आयु" में बड़े का

    सम्मान होता था...!

अब "आय" में बड़े का

  सम्मान  होता है

🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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