Wednesday, 14 October 2020

कविता-5

 शीषर्क :- हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी है।

 विद्या :- कविता 



हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी है।

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●हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी है,

हर दिन तेरी लीला न्यारी,

तू कर देती है मन मोहित,

जब सुबह होती प्यारी।


 ●हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,

सुबह होती तो गगन में छा जाती लाली मां,

छोड़ घोसला पंछी उड़ जाते,

हर दिन नई राग सुनाते।


●हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,

कहीं धूप तो कहीं छाव लाती,

हर दिन आशा की नई किरण लाती,

हर दिन तू नया रंग दिखलाती।


●हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,

कहीं ओढ़ लेती हो धानी चुनर,

तो कहीं सफेद चादर ओढ़ लेती,

रंग भतेरे हर दिन तू दिखलाती।


●हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,

कभी शीत तो कभी बसंत,

कभी गर्मी तो कभी ठंडी,

हर ऋतू तू दिखलाती।


●हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,

कहीं चलती तेज हवा सी,

कही रूठ कर बैठ जाती,

अपने रूप अनेक दिखलाती।


●हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,

कभी देख तुझे मोर नाचता,

तो कभी चिड़िया चहचाती,

जंगल का राजा सिह भी दहाड़ लगाता।


●हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,

हम सब को तू जीवन देती,

जल और ऊर्जा का तू भंडार देती,

परोपकार की तू शिक्षा देती,

हे प्रकृति तू सबसे प्यारी।


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