Friday, 1 August 2025

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक...

 📜 01 अगस्त 📜


🌹 लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक // पुण्यतिथि 🌹


जन्म : 23 जुलाई 1856

मृत्यु : 01 अगस्त 1920


भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में अग्रणी रहे बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिक्कन गांव में 23 जुलाई 1856 को जन्‍म हुआ था। उनके पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। 


बाल गंगाधर तिलक बचपन से बहुत परिश्रमी थे तथा उनके इसी परिश्रम के बल पर स्कूल के मेधावी छात्रों में की गिनती होती थी। वे पढ़ने के साथ-साथ प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम भी करते थे। अतः वे शरीर स्वस्थ और पुष्ट थे। उन्होंने सन्‌ 1879 में बीए तथा कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की। उनके परिवार वाले और मित्र-संबंधी यही आशा कर रहे थे कि तिलक वकालत करके खूब धन कमाएंगे और वंश के गौरव को बढ़ाएंगे, परंतु तिलक ने प्रारंभ से ही जनता की सेवा का व्रत धारण कर लिया था। परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने अपनी सेवाएं पूर्ण रूप से एक शिक्षण संस्था के निर्माण को दे दीं। सन्‌ 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ साल बाद फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की। 


जब तिलक जी ने वकालत पास की, तो उनके मित्रों सरकारी नौकरी अथवा वकालत के बारे में चर्चा की तो वे बोले- 'मैं पैसे का लोभी नहीं हूं। पैसे के लिए मैं सरकार का गुलाम बनना पसंद नहीं करता। रही वकालत की बात, तो मुझे यह पेशा भी पसंद नहीं। मैं तो 'सा विद्या या विमुक्तये' यानी 'विद्या वह जो मुक्ति देवे' इस सूक्ति को मानता हूं। जो विद्या मनुष्य को असत्याचरण की ओर प्रवृत्त करती है, उसे मैं विद्या ही नहीं मानता।' 


मित्र चुप रहे, किंतु कुछ दिनों पश्चात जब उन्हें पता चला कि तिलक जी 30 रुपए मासिक वेतन पर प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं, तो उन्हें बड़ा ही आश्चर्य हुआ। उनके एक घनिष्ठ मित्र से न रहा गया और वह बोला- आखिर तुमने गुरुजी का पेशा ही क्यों चुना? तुम भलीभांति जानते हो कि आजकल शिक्षकों की आर्थिक स्थिति कैसी है? अरे, तुम जब मरोगे, तो दाह-संस्कार के लिए, तुम्हारे घर में लकड़ियां तक न मिलेंगी।'


इस बात पर तिलक जी ने हंस कर जवाब दिया- 'मेरे दाह-संस्कार की चिंता मैं क्यों करूं, हमारी नगरपालिका क्यों बनी हुई है? मेरी चिंता उसे होगी वही सामग्री जुटाएगी और उससे मेरी चिता जलेगी।' उनकी बात यह सुनते ही मित्र अवाक् रह गया।


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वे पहले लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई। लोकमान्य तिलक ने जनजागृति कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया। सच्चे जननायक तिलक को लोगों ने आदर से लोकमान्य की पदवी दी थी। 

 

लोकमान्य तिलक के क्रांतिकारी कदमों से अंग्रेज बौखला गए और उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर 6 साल के लिए 'देश निकाला' का दिया और बर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया। इस अवधि में तिलक ने गीता का अध्ययन किया और 'गीता रहस्य' नामक भाष्य भी लिखा। तिलक के जेल से छूटने के बाद जब उनका 'गीता रहस्य' प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार-प्रसार आंधी-तूफान की तरह बढ़ा और जनमानस उससे अत्यधिक आंदोलित हुआ। 

 

उन्होंने मराठी में 'मराठा दर्पण' व 'केसरी' नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए, जो जनता में काफी लोकप्रिय हुए। जिसमें तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीनभावना की बहुत आलोचना की। ऐसे वीर तथा जनता के बीच लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक का निधन 1 अगस्त 1920 को मुंबई में हुआ था। तिलक सही मायने में हिन्दुस्तान के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे।

मुंशी प्रेमचंद...

 

31 जुलाई हिंदी और उर्दू साहित्य के एक महान लेखक, “उपन्यास सम्राट” और महान कथाकार, विचारक, भारतीय ग्रामीण जीवन के सफल चितेरा, कलम के जादूगर और कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद उर्फ़ धनपत राय उर्फ़ नवाब राय की 145वीं जयंती पर उनके महान व्यक्तित्व की स्मृति को सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि!
भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं, विशेषकर ग्रामीण जीवन, गरीबी, और सामाजिक मुद्दों को जन सामान्य की भाषा में अपनी रचनाओं के माध्यम से जीवंत कर देने वाले प्रेमचंद ने अपने साहित्य में मूलत: सामाजिक न्याय, समानता और मानव मूल्यों पर जोर दिया है। उनकी रचनाएँ आदर्शोन्मुख यथार्थवाद का जीवंत प्रमाण हैं। वे आज भी प्रासंगिक हैं और हमें उच्च विचार और यथार्थ के पथ पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। 
प्रेमचंद ने साहित्य को मनोरंजन का साधन मात्र न मानकर, समाजसुधार व राष्ट्रीय चेतना के विकास का एक सशक्त माध्यम माना। वे "साहित्य का उद्देश्य" में स्पष्ट रूप से कहते हैं - “साहित्य राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई नहीं बल्कि राजनीति के आगे मशाल दिखाते हुए चलने वाली सच्चाई है।" उनके बताए मार्ग  का अनुसरण ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


प्रेमचंद की विभिन्न रचनाओं से अपनी कुछ पंक्तियां उदधृत कर रहा हूँ आपने भी कहीं न कहीं पढ़ी ही होंगी । आप भी पढ़िए और यादें ताजा कीजिये।

1️⃣सिपाही को अपनी लाल पगड़ी पर, सुन्दरी को अपने गहनों पर और वैद्य को अपने सामने बैठे हुए रोगियों पर जो घमंड होता है, वही किसान को अपने खेतों को लहराते हुए देखकर होता है।

2️⃣नाटक उस वक्त पास होता है, जब रसिक समाज उसे पंसद कर लेता है। बरात का नाटक उस वक्त पास होता है, जब राह चलते आदमी उसे पंसद कर लेते हैं।

3️⃣  उनकी अपनी जेबों में तो कुबेर का धन भरा हुआ है। बार-बार जेब से अपना ख़ज़ाना निकाल कर गिनते हैं और ख़ुश होकर फिर रख लेते हैं।

4️⃣हूँ। यह अफसरी मेरे और उसके बीच में दीवार बन गई है। मैं अब उसका लिहाज पा सकता हूँ, अदब पा सकता हूँ, साहचर्य नहीं पा सकता। लड़कपन था, तब मैं उसका समकक्ष था। यह पद पाकर अब मैं केवल उसकी दया योग्य हूँ। वह मुझे अपना जोड़ नहीं समझता। वह बड़ा हो गया है, मैं छोटा हो गया हूँ।

5️⃣अनाथों का क्रोध पटाखे की आवाज़ है, जिससे बच्चे डर जाते हैं और असर कुछ नहीं होता। 

6️⃣स्त्री पृथ्वी की भाँति धैर्यवान् है, शांति-संपन्न है, सहिष्णु है। पुरुष में नारी के गुण आ जाते हैं, तो वह महात्मा बन जाता है। नारी में पुरुष के गुण आ जाते हैं तो वह कुलटा हो जाती है।

7️⃣मैं अपनी स्वाधीनता न खोना चाहूँगा, तुम अपनी स्वतन्त्रता न खोना चाहोगी। तुम्हारे पास तुम्हारे आशिक आयेंगे, मुझे जलन होगी। मेरे पास मेरी प्रेमिकाएँ आयेंगी, तुम्हें जलन होगी। मनमुटाव होगा, फिर वैमनस्य होगा और तुम मुझे घर से निकाल दोगी। घर तुम्हारा है ही! मुझे बुरा लगेगा ही, फिर यह मैत्री कैसे निभेगी?

8️⃣वह निर्भीक था, स्पष्टवादी था, साहसी था, स्वदेश-प्रेमी था, निःस्वार्थ था, कर्तव्यपरायण था। जेल जाने के लिए इन्हीं गुणों की जरूरत है।

9️⃣लज्जा ने सदैव वीरों को परास्त किया है। जो काल से भी नहीं डरते, वे भी लज्जा के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं करते। आग में झुंक जाना, तलवार के सामने खड़े हो जाना, इसकी अपेक्षा कहीं सहज है। लाज की रक्षा ही के लिए बड़े-बडे राज्य मिट गए हैं, रक्त की नदियां बह गई हैं, प्राणों की होली खेल डाली गई है।

🔟मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है ।


A School Principal's Speech At A Graduation...

 He said "The Doctor wants his child to become a doctor...

the Engineer wants his child to become an engineer...

The Businessman wants his ward to become CEO...

BUT a teacher also wants his child to become one of them, as well..!!

Nobody wants to become a teacher BY CHOICE"...

Very sad but that's the truth..!!


The dinner guests were sitting around the table discussing life.


One man, a CEO, decided to explain the problem with education. He argued, "What's a kid going to learn from someone who decided his best option in life was to become only a teacher?"


To stress his point he said to another guest;

"You're a teacher, Mrs Sharma. Be honest. What do you make?"


Teacher Mrs Sharma, who had a reputation for honesty and frankness replied, "You want to know what I make?

(She paused for a second, then began...)


"Well, I make kids work harder than they ever thought they could.


I make a C+ feel like the Congressional Medal of Honor winner.


I make kids sit through 40 minutes of class time when their parents can't make them sit for 5 min. without an I- Pod, Game Cube or movie

rental.


You want to know what I make?


(She paused again and looked at each and every person at the table)


I make kids wonder.


I make them question.


I make them apologize and mean it.


I make them have respect and take responsibility for their actions.


I teach them how to write and then I make them write.

Keyboarding isn't everything.


I make them read, read, read.


I make them show all their work in math.


They use their God given brain, not the man-made calculator.


I make my students from other countries learn everything they need to

know about India while preserving their unique cultural identity.


I make my classroom a place where all my students feel safe.


Finally, I make them understand that if they use the gifts they were given, work hard, and follow their hearts, they can succeed in life.


(Mrs Sharma paused one last time and then continued.)


Then, when people try to judge me by what I make, with me knowing money isn't everything, I can hold my head up high and pay no attention because they are ignorant. You want to know what I make?


I MAKE A DIFFERENCE IN ALL YOUR LIVES, EDUCATING KIDS AND PREPARING

THEM TO BECOME CEO's, AND DOCTORS AND ENGINEERS...


What do you make Mr. CEO? Only money?


His jaw dropped; he went silent.


THIS IS WORTH SENDING TO EVERY  teacher you know .


Actually very worth sending again & again - especially to those from other professions who think they are above teachers.

शानदार सारांश कैसे लिखें...

 सारांश क्या है?

सारांश एक संक्षिप्त विवरण होता है जो किसी पाठ के केवल महत्वपूर्ण मुख्य बिंदुओं को ही शामिल करता है और अन्य भागों को अनदेखा कर देता है। यह पाठकों को यह आभास देता है कि कोई पुस्तक, कविता, कहानी, नाटक आदि किस बारे में है। सारांश लिखते समय, आपको पाठ के सभी प्रमुख तथ्यों और महत्वपूर्ण विवरणों को शामिल करना चाहिए। सारांश लिखने का सबसे अच्छा तरीका है कि तथ्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाए और विचारों व सुझावों को छोड़ दिया जाए। सारांश लेखन तथ्यात्मक और सटीक होना चाहिए।


सारांश कैसे लिखें?

अगर कोई व्यक्ति सारांश लिखना जानता है, तो आप उसे कुशल लेखक कह सकते हैं। सारांश लिखना सीखने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें।


चरण 1: पूरा पाठ पढ़ना

सारांश लिखने से पहले सबसे पहली और ज़रूरी बात यह है कि जिस पाठ का सारांश लिखना है, उसे पूरा पढ़ें। सारांश लिखने से पहले यह पहली बात है। आपके सारांश के पाठकों को एक लेखक के रूप में आप पर भरोसा होना चाहिए, और उस भरोसे को बनाने के लिए, आपको पाठ को ध्यान से पढ़ना होगा और अपने सारांश का प्रारूप तय करना होगा। अगर आप किसी से पाठ सुनकर फिर सारांश लिखने की सोच रहे हैं, तो आप पाठ की ज़रूरी जानकारी से चूक सकते हैं। इसलिए, सलाह दी जाती है कि आप स्वयं पाठ पढ़ें और फिर सारांश लिखें।


चरण 2: मुख्य बिंदुओं को सूचीबद्ध करना

पाठ पढ़ने के बाद, अगला ज़रूरी कदम सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं की सूची बनाना है। पढ़ते समय, आपको मुख्य बिंदुओं और कम महत्वपूर्ण बिंदुओं की समझ होनी चाहिए। बिंदुओं को वर्गीकृत करने के बाद, आप सारांश की रूपरेखा तैयार करना शुरू कर सकते हैं। उदाहरण, किस्से, प्रयोग प्रक्रियाएँ, संदर्भ आदि को अनदेखा किया जा सकता है। अगर आप भ्रमित हैं या लिखे गए बिंदुओं के बारे में निश्चित नहीं हैं, तो आप पाठ को दोबारा पढ़ सकते हैं और महत्वपूर्ण बिंदुओं को सूचीबद्ध कर सकते हैं।


उदाहरण के लिए: फिल्मों या उपन्यासों के पात्रों का उल्लेख करते समय, मुख्य पात्रों का उल्लेख करें, गौण पात्रों का नहीं। कथानक को संक्षेप में लिखा जा सकता है; पूरी कहानी न सुनाएँ।


चरण 3: सारांश लिखना

अब, सारांश का पहला प्रारूप लिखा जा सकता है। पाठ को अच्छी तरह पढ़ने और ध्यान केंद्रित करने वाले बिंदुओं को समझने के बाद, आप सारांश का पहला प्रारूप लिखना शुरू कर सकते हैं। यह किसी भी प्रकार का पाठ हो सकता है, लेकिन कालानुक्रमिक क्रम में लिखना हमेशा उचित होता है। यहाँ मुख्य बात यह है कि सारांश को अपने शब्दों में लिखें। पाठ में प्रयुक्त शब्दों की नकल या प्रयोग न करें। सारांश का उद्देश्य पाठ को पाठकों के लिए सरल और समझने योग्य बनाना है। संक्रमणकालीन शब्दों और वाक्यांशों का उपयोग आपको मुख्य बिंदुओं को जोड़ने में मदद करेगा, बिना उन्हें बेतुका और असंबद्ध बनाए।


चरण 4: संपादन और प्रूफरीडिंग

सारांश को सबमिट या प्रकाशित करने से पहले उसे संपादित और प्रूफ़रीड करना ज़रूरी है। इससे आपको अनावश्यक बिंदुओं को हटाने और उन त्रुटियों को सुधारने में मदद मिलेगी जो शायद ध्यान में नहीं आईं।


सारांश कैसे लिखें, इस पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1

सारांश क्या है?

सारांश किसी बड़े पाठ का संक्षिप्त विवरण होता है। इसमें पाठ के केवल महत्वपूर्ण बिंदुओं को ही शामिल किया जाता है, और कम महत्वपूर्ण बिंदुओं को छोड़ा जा सकता है।


प्रश्न 2

किसी वीडियो का अच्छा सारांश कैसे लिखें?

किसी वीडियो का अच्छा सारांश लिखने के लिए, आपको वीडियो को ध्यान से सुनना होगा और सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं की एक सूची बनानी होगी। मुख्य बिंदुओं को अलग करने के बाद, आप उन बिंदुओं को नोट करना शुरू कर सकते हैं और सारांश में जोड़ने के लिए बिंदुओं पर निर्णय ले सकते हैं।

शानदार निबंध कैसे लिखें...

     निबंध का आरंभ क्यों महत्वपूर्ण है?

निबंध अकादमिक लेखन का एक रूप है जिसका उद्देश्य पाठक को किसी विशेष विचार या सोच के बारे में सूचित करना या उसे समझाना होता है, और आप अपने निबंध की शुरुआत कैसे करते हैं, यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि पाठक की विषय में रुचि है या नहीं और क्या वह पढ़ना जारी रखना चाहता है।

पहला पैराग्राफ, जिसे परिचयात्मक पैराग्राफ कहा जाता है, पाठक को आपके विषय के बारे में जानकारी देता है, उन्हें आपके विषय की पृष्ठभूमि बताता है और यह समझाता है कि विषय क्यों महत्वपूर्ण है। इसलिए, एक प्रभावशाली, रोचक और आकर्षक परिचय लिखना आपके निबंध की प्रभावशीलता के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है और पाठक की रुचि जगाने में मदद कर सकता है।



निबंध कैसे शुरू करें?

अपने निबंध की शुरुआत कैसे करें, यह जानने के लिए विषय का परिचय देना और अपनी कथा के केंद्र बिंदु पर ज़ोर देना ज़रूरी है। अपने विषय और थीसिस कथन पर विचार करते हुए , आप एक अधिक आकर्षक परिचय बनाने के लिए इन चरणों का पालन कर सकते हैं: 


1. अपने विचारों को व्यवस्थित करें

अपना निबंध शुरू करने से पहले, एक रूपरेखा तैयार करने पर विचार करें जिसमें आप क्या शामिल करना चाहते हैं, जैसे कि कुछ तथ्य या आपकी लेखन शैली। आप अपने निबंध के मुख्य बिंदुओं को भी शामिल कर सकते हैं ताकि आपको एक व्यापक थीसिस लिखने में मदद मिल सके। लिखना शुरू करने से पहले इस जानकारी को व्यवस्थित करना लेखन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आप सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों को शामिल करें और अपने विचारों को प्रभावी ढंग से जोड़ें।


2. अपने निबंध के विषय का परिचय दें

निबंध की शुरुआत में पहला कदम उस विषय का परिचय देना है जिस पर आप चर्चा करने की योजना बना रहे हैं। परिचयात्मक अनुच्छेद का उपयोग विषय के संदर्भ को स्थापित करने और उस ढांचे को उजागर करने के लिए करें जिसके भीतर आप उस पर चर्चा करना चाहते हैं। यह एक अकादमिक निबंध में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ स्पष्टता और रूपरेखा महत्वपूर्ण होती है। उदाहरण के लिए, यदि आप चौथे संशोधन पर एक शोध पत्र लिख रहे हैं, तो आप संदर्भ का परिचय इस जानकारी के साथ दे सकते हैं कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान का हिस्सा कैसे बना।


3. निबंध का फोकस संकीर्ण करें

आपके निबंध का परिचय आपको अपनी कथा पर ध्यान केंद्रित करने और उस मुख्य तर्क को उजागर करने का अवसर भी देता है जो आप प्रस्तुत करना चाहते हैं। कई कॉलेज निबंध असाइनमेंट में, परिचय आपके निबंध की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए सामाजिक, ऐतिहासिक या भौगोलिक संदर्भ प्रदान करता है।

यदि विषय को समझने के लिए शब्द आवश्यक हों, तो आप शब्दकोश की परिभाषा का उपयोग करके भी शब्दों को परिभाषित कर सकते हैं। ध्यान रखें कि बहुत अधिक विवरण मुख्य अनुच्छेद में होना चाहिए, परिचय में नहीं।


4. अपने दर्शकों के साथ जुड़ें

पाठकों को पढ़ना जारी रखने के लिए, एक ऐसा परिचय लिखने का प्रयास करें जो उन्हें आकर्षित करे और उन्हें और जानने की इच्छा जगाए। एक अच्छा परिचय किसी आश्चर्यजनक तथ्य या रहस्य को उजागर कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका कॉलेज निबंध किसी व्यापार समझौते के राजनीतिक प्रभावों पर चर्चा करता है, तो किसी अज्ञात ऐतिहासिक घटना का उल्लेख करें जिसके कारण वह समझौता हुआ हो। यह रणनीति विभिन्न प्रकार के निबंधों में, साहित्यिक विश्लेषण से लेकर व्याख्यात्मक निबंध तक, कारगर होती है।


5. अपने परिचय की समीक्षा करें

अपना निबंध समाप्त करने के बाद, अपने पहले पैराग्राफ को दोबारा पढ़ें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह आपके विषय को अच्छी तरह से प्रस्तुत करता है, आपके मुख्य तर्क को रेखांकित करता है, और पाठक की रुचि को आकर्षित करता है। किसी सहकर्मी से अपना निबंध पढ़वाना उसे बेहतर बनाने का एक बेहतरीन तरीका है। वे आपकी प्रूफ़रीडिंग में मदद कर सकते हैं, आपके थीसिस स्टेटमेंट और निबंध की संरचना पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं, या कोई बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं।


निबंध शुरू करने के लिए सुझाव

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जिन पर विचार करके आप अपने निबंध के परिचय को पाठकों के लिए अधिक आकर्षक बना सकते हैं:

विलंब की रणनीति का उपयोग करें

विलंब की कथात्मक रणनीति आपके निबंध की शुरुआत करने का एक आकर्षक तरीका हो सकती है क्योंकि यह आपको अपने पाठकों की रुचि जगाने के लिए जिस विषय पर आप चर्चा करने की योजना बना रहे हैं, उसकी बारीकियों को विलंबित करने की अनुमति देती है। उदाहरण के लिए, यदि आपका निबंध बज़र्ड प्रजाति पर चर्चा कर रहा है, तो आप अपनी भूमिका में उस प्रजाति के बारे में कुछ तथ्य या दावे सूचीबद्ध कर सकते हैं, बिना यह बताए कि आप किस प्रजाति पर चर्चा कर रहे हैं। इससे पाठकों को आपके विषय के बारे में अधिक जिज्ञासा पैदा करने में मदद मिलेगी और वे बिना किसी पूर्वधारणा के आपके निबंध की शुरुआत कर सकेंगे। 


विरोधी अवधारणाओं के बीच अंतर करें

अपने परिचय में अतीत और वर्तमान के बीच या वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर दर्शाना, निबंध की शुरुआत करने का एक आकर्षक तरीका हो सकता है। अतीत को दर्शाने के लिए इस रणनीति का इस्तेमाल करने से आप किसी ऐतिहासिक घटना या विवरण को साझा कर सकते हैं और साथ ही उस स्थिति की तुलना वर्तमान में हो रही घटनाओं से कर सकते हैं। वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर दर्शाना, किसी गलत धारणा को, भले ही उस पर बहुत से लोग विश्वास करते हों, दर्शाने और उसके विपरीत सत्य को प्रस्तुत करने का एक अनूठा तरीका है। ऐसा करने से आपके विषय को प्रभावी ढंग से स्थापित करने में मदद मिल सकती है, और आपके विषय पर अधिक संदर्भ और पृष्ठभूमि मिल सकती है।


अगर आप एक जानकारीपूर्ण निबंध लिख रहे हैं, तो पाठकों का ध्यान आकर्षित करने का एक अच्छा तरीका यह हो सकता है कि आप उन बातों का ज़िक्र करें जो लोग अभी भी उस विषय के बारे में नहीं जानते। उदाहरण के लिए, सैकड़ों साल पहले की किसी कम-ज्ञात घटना पर निबंध में यह कहा जा सकता है कि आज तक किसी को नहीं पता कि कहानी के मुख्य लोगों का क्या हुआ था। 

प्रश्न पूछने से पाठक को लगता है कि वह ज़्यादा दिलचस्पी ले रहा है, जिससे उसे पढ़ना जारी रखने के लिए प्रेरित करने में मदद मिल सकती है ताकि पता चल सके कि उसके पास सही उत्तर है या नहीं। उदाहरण के लिए, एक प्रेरक निबंध की शुरुआत करने के लिए प्रश्न का इस्तेमाल एक अच्छा तरीका हो सकता है क्योंकि यह पाठक को एक पक्ष चुनने के लिए प्रेरित करता है। दोनों ही तरीके पाठक को आकर्षित करते हैं और उनके लिए पढ़ना बंद करना मुश्किल बना देते हैं क्योंकि ये उनकी जिज्ञासा को जगाते हैं। 


संक्षिप्त रहें

एक अच्छे निबंध का परिचय आकर्षक होते हुए भी संक्षिप्त होना चाहिए। पाठकों को बोझिल होने से बचाने के लिए, विवरण सीमित रखें और वाक्यों को पठनीय रखें। यह सुनिश्चित करना कि आपका परिचय बहुत लंबा न हो और आपके मुख्य बिंदुओं को उजागर न करे, पाठक की रुचि और आगे क्या लिखा जाएगा, इसके बारे में जिज्ञासा बनाए रखने में मदद कर सकता है।

कोशिश करें कि आपके परिचय में इतनी जानकारी हो कि वे उत्सुक रहें, लेकिन इतनी भी न हो कि उन्हें आगे पढ़ने की ज़रूरत ही न पड़े। इसी तरह, परिचय की पठनीयता बढ़ाने और उसे समझने में आसान बनाने के लिए अपने वाक्यों को संक्षिप्त रखने का प्रयास करें। इससे पाठक अभिभूत या भ्रमित महसूस नहीं करेंगे, जिससे उन्हें पढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

विश्व जनसंख्या दिवस...

 •  प्रतिवर्ष 11 जुलाई को सम्पूर्ण विश्व में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में आबादी से जुड़े मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना है।


•  विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालन परिषद् ने की थी। 


•  दिसंबर, 1990 के संकल्प 45/216 द्वारा, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पर्यावरण और विकास के साथ संबंधों सहित जनसंख्या संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस मनाना जारी रखने का निर्णय लिया।


•  विश्व जनसंख्या दिवस 2025 के लिए थीम “युवा लोगों को एक निष्पक्ष और आशापूर्ण दुनिया में अपने मनचाहे परिवार बनाने के लिए सशक्त बनाना।”। 


•  संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा 2025 में जारी  रिपोर्ट के अनुसार विश्व की कुल जनसंख्या 8,232 मिलियन (8.2 बिलियन) है और भारत की जनसंख्या  1,463.9 है ।

 

•  2007 पहला वर्ष था, जिसमें  ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में अधिक लोग रहते थे , तथा 2050 तक विश्व की लगभग 66 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रह सकती हैं

📜 10 जुलाई 📜🎀 मातृ सुरक्षा दिवस 🎀...

 प्रत्येक वर्ष 10 जुलाई को मातृ सुरक्षा दिवस मनाया जाता है. यह दिन दुनिया भर की माताओं को समर्पित होता है, क्योंकि इस दिन का संबंध हर माँ की सेहत, सुरक्षा और कल्याणकारी कार्यों से होता है. साल 2005 से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इसे मनाया जा रहा है. इस दिवस विशेष का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के पश्चात माँ के स्वास्थ्य के संदर्भ में जागरूकता पैदा करना है.


प्रिगनेंसी के दरम्यान माँएं स्वास्थ्य के सबसे बड़े जोखिम का अकेले सामना करती हैं. गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोपरांत अवधि के दौरान माँएं उच्च मृत्यु दर जैसी चुनौतियों का भी सामना करती हैं.


यद्यपि पिछले कुछ दशकों में इस दिशा में महत्वपूर्ण विकास हुए हैं, लेकिन अभी भी गर्भवती माँ के सेहत के प्रति सुधार की जरूरत है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार साल 2017 में गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान एवं प्रसव के पश्चात लगभग दो लाख 95 हजार से अधिक महिलाओं ने अपनी जान गंवाई है. गांवों में ये आंकड़े और भी बदतर बताये जाते हैं.


>> 10 जुलाई को ही मातृ सुरक्षा दिवस क्यों? <<


मातृ सुरक्षा दिवस सेलीब्रेट करने का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान बढ़ती मृत्यु दर पर नियंत्रण पाना और इस दिशा में महत्वपूर्ण उपायों पर ध्यान देना है, ताकि इन उपायों को शीघ्र से शीघ्र लागू किया जा सके. बहरहाल मातृ सुरक्षा दिवस 10 जुलाई को इसीलिए सेलीब्रेट किया जाता है क्योंकि अगले दिन यानी 11 जुलाई को हम विश्व जनसंख्या दिवस मनाते हैं. मातृ सुरक्षा दिवस यह दर्शाता है कि जनसंख्या वृद्धि का माँ की सेहत से सीधा संबंध होता है. इसलिए जनसंख्या पर अंकुश लगाना बहुत महत्वपूर्ण है. इससे माँ के सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.


बहरहाल, यह दिवस इस बात पर भी जोर देता है कि दो बच्चों के जन्म के बीच उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए, क्योंकि यह मांओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. इस सलाह को नजरअंदाज करने से मां के साथ-साथ बच्चे के स्वास्थ्य को भी खतरा हो सकता है.

अपने बुजुर्गों का सम्मान करें....

 बुज़ुर्ग बूढ़े हो रहे हैं दौड़ता समय-चक्र गति से  तोड़ता मन मोह मति से नेत्र नम हो ताकते - से, ख़ुद को जैसे खो रहे हैं ।  बुज़ुर्ग बूढ़े हो...